बहेड़ा और बिभीतकी एक गोलाकार फल है जो की 2.5 से 4 cmव्यास का होता है | पका फल हल्का सा सफ़ेद रंग से ग्रे रंग का होता है जो की सूखने पर भूरे रंग का हो जाता है | इस फल की मोटाई लगभग 3 से 5 mm होती है | बहेड़ा त्रिफला का एक अंग है , बहेड़ा कफ़नाशक , योनीदोष नाशक व दूध को शुद्ध करने वाला और पाचक होता है | यह आमाशय के लिए शक्ति वर्धक है , तथा यह लेक्सटिव होता है | बहेड़े को बराबर मात्रा में चीनी के साथ सेवन करने से नेत्रो की शक्ति बढाता है | बहेड़ा का छिलका ख़ासी में भी लाभप्रद होता है | बहेड़ा का चूर्ण भोजन उपरांत पाचक होता है | मात्रा: 3 से 6 ग्राम चूर्ण अथवा चिकित्सक निर्देशानुसार बहेड़ा नामावली 1. संस्कृत: विभीतकी, अक्स, 2. आसामी : भोमोरा , बहेरा 3. बंगाली: बाएडा 4. इंग्लिश : बेलरिक म्यरोबलन 5. हिन्दी: बहेड़ा 6. गुजराती : बहेडन 7. कन्नड: तारे कई , शांति कई 8. कश्मीरी: बाबेलों 9. मलयालम: तन्निका 10. मराठी , ओडिया : बहेड़ा 11. पंजाबी : बहेरा 12. तमिल: थनरीकई 13. तेलेगु : थनीकाया 14. उर्दू : बहेड़ा गुड धर्म : रस: काश्य गुण: लघु, रूक्षा विपाक: मधुर वीर्य: उष्ण कर्म: केश्य ,चक्षुशय , कफपित्ताजित, भेदक, कृमिनाशन , काशरा औषधि उपयोग : चर्दी , कसा , कृमिरोग, विभांदन ,स्वरभेद , नेत्ररोग औषधि: त्रिफला , त्रिफलदी तैल , लवंगदि वटी