पुराणिक मनयताओ के अनुसार जब इंद्र अमृत पान कर रहे थे तब उसकी कुछ बूंदे धरती पर आगीरी , जिसे कुछ वनस्पतिओ ने भी ग्रहण किया , हरड़ या हरीतकी उन वनस्पति में एक वनस्पति है | हरीतकी आयु वृद्धि के लिए उत्तम है और यह त्रिफला का एक अंग है , हरड़ शारीरिक अशुद्धियों को उनके नेसर्गिक मार्ग से बाहर निकालने वाली होती है | यह औषधि कब्ज , सूजन ,ख़ासी , मधुमेह , ज्वर ,गैस का बनना, अंतो का शुद्धिकरण ,बबसीर , उदररोग आदि में लाभ कर होते है | हर्र 2 से 2.5 cm लंबा , 1.5 से 2.5 cm चोड़ा , करीब 1/2 cm मोटा होता है | झुर्रीदार व लंबी धारी युक्त होता है | हर्र नामावली 1.संस्कृत : अभया ,शिवा, पथ्या , विजया (भांग नहीं ) 2.आसामी : शिलिखा 3. बंगाली: हरीतकी 4. हिन्दी: हर्र , हरड़ 5. कन्नड: अलालेकई 6.कश्मीरी: हालेला 7. मलयालम: कटुका 8.मराठी: हिरदा , हरड़ 9. ओडिया : हरीदा 10. पंजाबी: हालेला 11. तमिल : कडुकाई 12. तेलुगू: कारका , करककया 13. उर्दू : हालेला 14. इंग्लिश : मयरोबलन गुण धर्म रस: मधुर, अम्ल , कटु , टिक्ता , कषाय गुण: लघु , रूक्षा विपाक: मधुर कर्म :चक्षुशय , दीपान , हृदया , मेध्य, रसायन ,सर्वदोषप्र्समना , अनुलोमना औषधि उपयोग : सोथा , अर्श, अरुचि, हृदयरोगा , कसा, परमेह, उद्वर्ता , विभंदना , जीर्ण व विशंज्वर , शिरोरगा , तमक, स्वास , गुल्म ,उदररोग औषधि :त्रिफला चूर्ण , त्रिफलदी तेल , अभयरिष्ट , अगतस्य, हरीतिकी रासयान, भ्रम रासयान , अभया लवण , पथ्यादी लेप