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Andha Pansari Blog

  • By T N Agarwal
  • On June 27, 2020, 10:26 a.m.
  • Tags:
  • pepper
  • काली मिर्च
  • black pepper

 || मारीचं वेल्लजं कृष्णमूण धर्मपत्तनम ||

||  मारीचं कटुकं तीक्ष्ण दीपनं कफ़वातजित ||

||  उष्ण पित्तकरं रुक्ष श्वासशूलकृमिन्हरेत ||

मारीच जिसे हम साधारण तोर पर काली मिर्च के नाम से भी जानते है , इसके और भी नाम है जैसे की वेल्लज , कृष्ण  आदि |

काली मिर्च तीखे स्वाद की औषधि है ये कफ व वात दोषो को शांत करती है व पित्त दोष को बड़ाती है | यह गरम मनी जाती है , ये पाचन क्रिया को उत्तेजित करनी वाली होती है , रूखेपन में बदोत्तरी करती है | ये श्वास जनित रोगो, पेट में दर्द  में लाभकर है |

काली मिर्च जोकि भारत के दक्षिण व उत्तर पूर्वी राज्यों में पैदा होती है ,पुरातन काल से भारत में काली मिर्च की फसल की जा रही है | कच्ची कालीमिर्च जो की हरे रंग की होती है उसका आचार भी डाला जाता है | भारत से निर्यात होने वाली ये एक प्रमुख फसल है , इसकी खोज में कई यूरोपियन व अमेरिकी उपनिवेशक ने भारत की और रुख किया था |

कालीमिर्च को उसके तीखे स्वाद व उसके महक के लिए अक्सर प्रोयग में लाया जाता है |  ये महक olioresin नमक तत्व के कारण होती है व इसका तीखा स्वाद पेपरिन नमक तत्व के कारण होता है | एक 100 ग्राम के सेंपल में करीब 13.2% नमी होती है , 11.5% प्रोटीन होता है , 6.8% फेट (वसा)  होता है , फाइबर करीब 14.9% होता है , कर्ब्स करीब 49.2% होता है , मिनरल्स में 4.4% होते है , मिनेरल्स जिसमे कैल्सियम , फास्फोरस, आइरन , थाइयमीन , रिबोफ्लाविन  आदि है |

आयुर्वेद में मारीचं को   सुगंधित , पाचन क्रिया को उत्तेजित करने वाला , पसीना लाने वाला , कफ का हरण करने वाला तथा पेट के कीड़े मारने वाला बताया गया है | यह पेट में रस के उत्सर्जन को उत्तेजित करके पाचन को बड़ाता है , यह घी को पचाने में भी सहायक होता है | 

यह पेट की गॅस , अपच व पेचीस में लाभकर है , काले जीरे व कालीमिर्च को शहद के साथ लेने में बवासीर में राहत मिलती है | आत्यधिक कालीमिर्च के प्रयोग से पेट में जलन व उल्टी भी हो सकती है | ठंड के मौसम में काली मिर्च का प्रयोग बड़ा देने से सर्दी,ख़ासी आदि से भी रक्षा होती है | काली मिर्च के पकाए तेल से arthritis व rheumatism में भी राहत मिलती है , छोटे मस्से या पिंपल पर इसके पेस्ट से राहत मिलती है | 

कालीमिर्च की नामवाली 

1. संस्कृत: मारीच ,वेल्लज 

2. बंगाली : गोलमोरिच , कलामोरिच , मोरिच 

3. इंग्लिश : ब्लैक पेपर 

4. गुजराती : कलिमोरी 

5. कन्नड : करिमोनारु , मोनारु 

6. मलयालम : कुरुमूलकु 

7. मराठी: कालीमिरी 

8. पंजाबी : गलमिर्च , काली मिर्च 

9. तमिल : मिलगु 

10. तेलेगु: मरिचमू 

11. उर्दू : फिल फिल स्याह 

 

गुण व धर्म

रस: कटु तिक्त

गुण: लघु , रुक्ष , तीक्ष्ण 

वीर्य : उष्ण 

विपाक : कटु 

कर्म : श्लेष्महरा , दीपन, मेदोहरा, पित्तकर ,कफवात्जित , वातहर, छेदन,वातरोग 

औषधीय उपयोग : श्वास, शूल , क्रीमरोग , त्वगरोग 

औषधि : मरीचादी तेल , मरीचादी  गुटिका ,त्रिकटु चूर्ण 

    *कोई भी औषधि चिकित्सक के देखरेख में ले