गोखरू एक सूखा , पका हुआ फल होता है एक पौधे का जिसका बोटिनीकल नाम है Tribulus terrestris Linn । ये एक कटीला फल होता है जिसमे 2-6 काटे तक होते है | यह एक झाडनुमा पोधे पर होता है , जोकि गरम व सूखे परदेशो में पाये जाते है | गोखरू बहुत ही लाभकारी औषधि है , यह मूत्र विकार, वातपित्ता ,रक्तपित्ता ,कफ , सूजन , दर्द , शक्तिवर्धक होता है | गोखरू ठंडा व स्निग्ध होता है ,गोकरू फल के चूर्ण एकल या अन्य औषधि के साथ प्रयोग में लाया जाता है |
गोखरू का प्रयोग
गोखरू को मूत्राक्रच्छ्र बोला गया है अर्थात जैसे की मूत्र त्यागते समाये दर्द व जलन होना , मूत्र रुक रुक कर आना या कम आना आदि में गोखरू चूर्ण आतंत्य लाभकर है | अश्मरी (गुर्दे की पथरी ) में गोखरू लाभकर है , गर्भाशय में होने वाले दर्द आदि में भी लाभकर है | शुक्राणु की कमी व दुर्बलता में भी लाभकर है ,
गोखरू की नामावली
1. संस्कृत:गोक्षुरा, त्रिकंटक:,क्षुरक,स्वादुकंटक: ,ईक्षुगंधिका :
2. आसामी: गोखरूकाटा ,गोक्षुरा
3. बंगाली : हथचिकर,गोखरी
4. अंग्रेजी : केलट्रोप्स फ्रूट
5. गुजराती: बेठगोखरू ,मीठा गोखरू ,नाना गोखरू
6. हिन्दी : गोखरू
7. कन्नड: नेगीलामुल्लु ,नेगिल्लू ,
8. कश्मीरी: पखड़ा , मिचिकन्द
9. मलयालम : नेरिंजील
10. मराठी: गोखरू ,सराटे
11. ओडिया: गोखुरा, गोखयूरा
12. पंजाबी: भाखरा, गोखरू
13. तमिल: नेरिंजील.नेरुंजिल
14. तेलेगु: पेल्लरु काया
15. उर्दू: खारे खशक खुर्द
गुण व धर्म
रस: मधुर
गुण: गुरु स्निग्धा
वीर्य: शीत
विपाक : मधुर
कर्म : वातानुत, अश्मरीहर ,व्र्ष्य:
औषधीय उपयोग : शूलरोग ,अर्श ,श्वास,दुर्बल्य ,वृष्य ,कासा ,मूत्रकृच्छ्र ,अश्मरी, प्रमेह
मात्रा: 3-6 ग्राम चूर्ण या चिकित्सक निर्देशानुसार